{{रचनाकार : मुकेश मानसKKGlobal}}{{कविता KKRachna|रचनाकार=मुकेश मानस|संग्रह : =पतंग और चरखड़ी/ मुकेश मानस }} {{KKCatKavita}}
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पतंग और चरखड़ी
1
वो पतंग लाया
बच्चे हैं बहुत
पतंगें हैं कम
चरखड़ियां चरखड़ियाँ तो और भी कमचरखड़ियों में धगाधागा
बहुत-बहुत कम
कहां कहाँ गई पतंगें?कहां कहाँ गई चरखड़ियां?कहां कहाँ गया धागा?
1997
जिनके पास चरखड़ी नहीं होती
वो खुद ख़ुद चरखड़ी बन जाते हैं
और कवि की कविता में
पतंग उड़ाते हैं।
1999'''मोटा पाठ'''
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