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"आती हुई हवाएँ / अलका सर्वत मिश्रा" के अवतरणों में अंतर
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− | + | ख़ुशबू की तलाश में ! | |
− | + | दुर्गन्ध का साम्राज्य था | |
− | + | हर तरफ फैला हुआ | |
− | + | आदमी तो आदमी | |
− | + | दिमाग तक सड़ा हुआ!! | |
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− | + | भटकती ही रह गई | |
− | + | अंधेरी राहों पर | |
− | + | रोशनी की तलाश में !! | |
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− | + | ज़िंदा आदमी की भी | |
− | + | बेनूर सी आँखें ! | |
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− | + | हवाओं को शंका हुई | |
− | + | अपने ही क़दम पर | |
− | + | कहीं ग़लत तो नहीं आई वे | |
− | + | ये धरती ही है न !!! | |
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12:20, 19 मई 2010 के समय का अवतरण
आती हुई हवाएँ
मायूस होने लगी थीं
ख़ुशबू की तलाश में !
दुर्गन्ध का साम्राज्य था
हर तरफ फैला हुआ
आदमी तो आदमी
दिमाग तक सड़ा हुआ!!
भटकती ही रह गई
अंधेरी राहों पर
रोशनी की तलाश में !!
ज़िंदा आदमी की भी
बेनूर सी आँखें !
हवाओं को शंका हुई
अपने ही क़दम पर
कहीं ग़लत तो नहीं आई वे
ये धरती ही है न !!!