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12:20, 19 मई 2010 के समय का अवतरण

मदिराधर रस पान कर रहस
त्याग दिया जिसने जग हँस हँस,
उसको क्या फिर मसजिद मंदिर
सुरा भक्त वह मुक्त अनागस!
हृदय पात्र में प्रणय सुरा भर
जिसने सुर नर किए प्रेम वश,
पाप, पुण्य, भय, उसे न संशय,
वह मदिरालय अजर अमर यश!