भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"उमर दिवस निशि, काल और दिशि / सुमित्रानंदन पंत" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुमित्रानंदन पंत |संग्रह= मधुज्वाल / सुमित्रान…)
 
छो ("उमर दिवस निशि, काल और दिशि / सुमित्रानंदन पंत" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))
 
(कोई अंतर नहीं)

13:20, 19 मई 2010 के समय का अवतरण

उमर दिवस निशि काल और दिशि
रहे एक सम, जब कि न थे हम!
फिरता था नभ सूर्य चंद्र प्रभ,
देख मुग्ध छवि गाते थे कवि!
चंद्र वदनि की सी अलकावलि
लहराती थी लोल शैवलिनि!
कोमल चंचल धरणी श्यामल
किसी मृग नयनि की थी दृग कनि!