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13:20, 19 मई 2010 के समय का अवतरण
उमर दिवस निशि काल और दिशि
रहे एक सम, जब कि न थे हम!
फिरता था नभ सूर्य चंद्र प्रभ,
देख मुग्ध छवि गाते थे कवि!
चंद्र वदनि की सी अलकावलि
लहराती थी लोल शैवलिनि!
कोमल चंचल धरणी श्यामल
किसी मृग नयनि की थी दृग कनि!