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"दिल बहुत यों तो तेरी राह में घबरा ही गया / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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11:30, 22 मई 2010 का अवतरण
दिल बहुत यों तो तेरी याद में घबरा ही गया
तूने मुड़कर कभी देखा तो क़रार आ ही गया
प्यार हमसे जो नहीं है तो ये परदा क्यों है!
कुछ तो दिल में है जो आँखों से झलमला ही गया
लाख सीने में छिपाया किये हम दिल को, मगर
फिर ये शीशा किसी पत्थर की चोट खा ही गया
अब खुशी क्या हो तेरे बाग़ में आने से, बहार!
देखता राह कोई फूल तो मुरझा ही गया
एक तेरे ही लिए बात नयी क्या है, गुलाब!
जो भी इस राह से गुज़रा है, तड़पता ही गया