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"कभी प्यार से मुस्कुराओ तो क्या है! / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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11:48, 22 मई 2010 का अवतरण
कभी प्यार से मुस्कुराओ तो क्या है!
हमें भी जो अपना बनाओ तो क्या है!
वही लौ इधर भी, वही लौ उधर भी
दिए को दिए से जलाओ तो क्या है!
नज़र आइना, रूप भी आइना है
मगर बीच में यह बताओ तो क्या है!
हमारे-तुम्हारे सिवा कौन है अब!
ये परदा घड़ी भर हटाओ तो क्या है!
गुलाब एक दिन पास पहुँचेंगे खुद ही
जो आओ तो क्या है, न आओ तो क्या है!