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"इस आत्महत्या के युग में / दिनकर कुमार" के अवतरणों में अंतर

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इस आत्महत्या के युग में
 
इस आत्महत्या के युग में
 
कैसे खिलते हैं फूल
 
कैसे खिलते हैं फूल

20:15, 22 मई 2010 के समय का अवतरण

इस आत्महत्या के युग में
कैसे खिलते हैं फूल
मंडराते हैं भँवरे
गाती है कोयल

इस आत्महत्या के युग में
कैसे नदी जाकर
मिलती है सागर से
कैसे लहरें मचलती हैं
चाँद को छूना चाहती हैं

इस आत्महत्या के युग में
कैसे प्रेम किया जाता है
कैसे भावनाओं को
जिया जाता है
कैसे अंकुरित हो पाते हैं बीज

इस आत्महत्या के युग में
कैसे बची रह पाती है
जीने की ललक
दुनिया को बदल डालने
की सनक
कैसे हृदय के कोमल हिस्से में
चुपचाप छिपे रहते हैं
इन्द्रधनुषी सपने।