भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बच्चे उगे / मुकेश जैन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: '''बच्चे उगे''' बच्चे उगे.<br /> बड़े हुए<br /> जैसे जंगली पौधे. '''रचनाकाल:'''…) |
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
बच्चे उगे.<br /> | बच्चे उगे.<br /> | ||
− | + | बड़े हुए<br /> | |
जैसे जंगली पौधे. | जैसे जंगली पौधे. | ||
'''रचनाकाल:''' १२/जनवरी/१९८८ | '''रचनाकाल:''' १२/जनवरी/१९८८ |
03:52, 24 मई 2010 के समय का अवतरण
बच्चे उगे
बच्चे उगे.
बड़े हुए
जैसे जंगली पौधे.
रचनाकाल: १२/जनवरी/१९८८