भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"एक और औरत / लाल्टू" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Rajeevnhpc102 (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लाल्टू |संग्रह= }} <poem>एक और औरत हाथ में साबुन लिए उ…) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
}} | }} | ||
− | <poem>एक और औरत हाथ में साबुन लिए उल्लास की पराकाष्ठा पर है | + | {{KKCatKavita}} |
+ | <poem> | ||
+ | एक और औरत हाथ में साबुन लिए उल्लास की पराकाष्ठा पर है | ||
गद्दे वाली कुर्सी पर बैठ एक और औरत कामुक निगाहों से ताक रही है | गद्दे वाली कुर्सी पर बैठ एक और औरत कामुक निगाहों से ताक रही है | ||
इश्तहार से खुली छातियों वाली औरत मुझे देखती मुस्कराती है | इश्तहार से खुली छातियों वाली औरत मुझे देखती मुस्कराती है | ||
पंक्ति 11: | पंक्ति 13: | ||
माँ छः घंटों बस की यात्रा कर आई है | माँ छः घंटों बस की यात्रा कर आई है | ||
माँ मुझसे मिल नहीं सकती, होस्टल में रात को औरत का आना मना है। | माँ मुझसे मिल नहीं सकती, होस्टल में रात को औरत का आना मना है। | ||
− | |||
</poem> | </poem> |
13:03, 24 मई 2010 का अवतरण
एक और औरत हाथ में साबुन लिए उल्लास की पराकाष्ठा पर है
गद्दे वाली कुर्सी पर बैठ एक और औरत कामुक निगाहों से ताक रही है
इश्तहार से खुली छातियों वाली औरत मुझे देखती मुस्कराती है
एक औरत फोन का डायल घुमा रही है और मैं सोचता हूँ वह मेरा ही नंबर मिला रही है
माँ छः घंटों बस की यात्रा कर आई है
माँ मुझसे मिल नहीं सकती, होस्टल में रात को औरत का आना मना है।