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"परंपरा / रामधारी सिंह "दिनकर"" के अवतरणों में अंतर

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(नया पृष्ठ: <poem> परंपरा को अंधी लाठी से मत पीटो | उसमे बहुत कुछ है, जो जीवित है, जी…)
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22:55, 24 मई 2010 का अवतरण

परंपरा को अंधी लाठी से मत पीटो |
उसमे बहुत कुछ है,
जो जीवित है,
जीवन दायक है,
जैसे भी हो,
ध्वसं से बचा सकता है|