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"कहता है बाजुओं का ज़ोर / शमशेर बहादुर सिंह" के अवतरणों में अंतर
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कहता है बाजुओं का ज़ोर, सारे जहाँ को तोलकर | कहता है बाजुओं का ज़ोर, सारे जहाँ को तोलकर | ||
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मालिके-दो जहाँ! इधर देख के मेरा मोल कर! | मालिके-दो जहाँ! इधर देख के मेरा मोल कर! | ||
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आज भी हैं वो मनचले, आज भी हैं वो सिरफिरे | आज भी हैं वो मनचले, आज भी हैं वो सिरफिरे | ||
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तीरो-सनाँ की बाढ़ पर, चलते थे सीना खोलकर! | तीरो-सनाँ की बाढ़ पर, चलते थे सीना खोलकर! | ||
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इसमें तो आग है बहुत, इसका तो ख़ून गर्म है-- | इसमें तो आग है बहुत, इसका तो ख़ून गर्म है-- | ||
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बोले वो रख के दिल पे हाथ, और जिगर टटोलकर। | बोले वो रख के दिल पे हाथ, और जिगर टटोलकर। | ||
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बातों में अपने रंग ला, लहज़े को शोख़तर बना | बातों में अपने रंग ला, लहज़े को शोख़तर बना | ||
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शर्तों को लोचदार रख, वादों को गोलमोल कर !! | शर्तों को लोचदार रख, वादों को गोलमोल कर !! | ||
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तर्ज़े-अदा इशारा हो, अब ये नहीं तरीके-फ़न | तर्ज़े-अदा इशारा हो, अब ये नहीं तरीके-फ़न | ||
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राज़ की बात भी कहो, 'शम्स', तो साफ़ खोलकर! | राज़ की बात भी कहो, 'शम्स', तो साफ़ खोलकर! | ||
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01:25, 25 मई 2010 के समय का अवतरण
कहता है बाजुओं का ज़ोर, सारे जहाँ को तोलकर
मालिके-दो जहाँ! इधर देख के मेरा मोल कर!
आज भी हैं वो मनचले, आज भी हैं वो सिरफिरे
तीरो-सनाँ की बाढ़ पर, चलते थे सीना खोलकर!
इसमें तो आग है बहुत, इसका तो ख़ून गर्म है--
बोले वो रख के दिल पे हाथ, और जिगर टटोलकर।
बातों में अपने रंग ला, लहज़े को शोख़तर बना
शर्तों को लोचदार रख, वादों को गोलमोल कर !!
तर्ज़े-अदा इशारा हो, अब ये नहीं तरीके-फ़न
राज़ की बात भी कहो, 'शम्स', तो साफ़ खोलकर!