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"नहीं है यह मानव की हार / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर

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नहीं है यह मानव का हार

कि दुनिया यह करता प्रस्‍थान,

नहीं है दुनिया में वह तत्‍व

कि जिसमें मिल जाए इंसान,


पड़ी है इस पृथ्‍वी पर हर कब्र,
चिता की भूभल का हर ढेर,
कड़ी ठोकर का एक निशान
लगा जो वह जाता मुँह फेर।