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"कहीं मैं हो जाऊँ लयमान / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर
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कहीं मैं हो जाऊँ लयमान,
कहाँ लय होगा मेरा राग,
विषम हालाहल का भी पान
बढ़ाएगा ही मेरा आग,
- नहीं वह मिटने वाला राग
- जिसे लेकर चलती है आग,
- नहीं वह बुझने वाली आग
- उठाती चलती है जो राग!