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"भीख माँगते शर्म नहीं आती / शैल चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर

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जैसी भी, आखिर लड़़की है
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लोकल ट्रेन से उतरते ही
बड़े घर की है, फिर बेटा
+
हमने सिगरेट जलाने के लिए
यहाँ भी तो कड़की है
+
एक साहब से माचिस माँगी,  
हमने कहा-
+
तभी किसी भिखारी ने
जी अभी क्या जल्दी है?
+
हमारी तरफ हाथ बढ़ाया,
वे बोले- गधे हो
+
हमने कहा-  
ढाई मन के हो गये
+
''भीख माँगते शर्म नहीं आती?
मगर बाप के सीने पर लदे हो
+
वह घर फँस गया तो सम्भल जाओगे।
+
ओके, वो बोला-
 +
''माचिस माँगते आपको आयी थी क्‍या''?
 +
बाबूजी! माँगना देश का करेक्‍टर है,
 +
जो जितनी सफ़ाई से माँगे
 +
उतना ही बड़ा एक्‍टर है,
 +
ये भिखारियों का देश  है
 +
लीजिए! भिखारियों की लिस्‍ट पेश है,
  
तब एक दिन भगवान से मिलके
+
धंधा माँगने वाला भिखारी
धडकते दिल से
+
चंदा माँगने वाला
पहुँच गये रुड़की, देखने लड़की
+
दाद माँगने वाला
शायद हमारी होने वाली सास
+
औलाद माँगने वाला
बैठी थी हमारे पास
+
दहेज माँगने वाला
बोली-
+
नोट माँगने वाला
यात्रा में तकलीफ़ तो नहीं हुई
+
और तो और  
और आँख मुई चल गई
+
वोट माँगने वाला
वे समझी कि मचल गई
+
हमने काम माँगा
 +
तो लोग कहते हैं चोर है,
 +
भीख माँगी तो कहते हैं,
 +
कामचोर है,
  
बोली-
+
उनमें कुछ नहीं कहते,  
लड़की तो अंदर है,
+
जो एक वोट के लिए ,
मैं लड़की की माँ हूँ ,
+
दर-दर नाक रगड़ते हैं,
लड़की को बुलाऊँ?
+
घिस जाने पर रबर की खरीद लाते हैं,  
और इससे पहले कि मैं जुबान हिलाऊँ,
+
और उपदेशों की पोथियाँ खोलकर,  
आँख चल गई दुबारा ,
+
महंत बन जाते हैं।
उन्हों ने किसी का नाम ले पुकारा,  
+
लोग तो एक बिल्‍ले से परेशान हैं,
झटके से खड़ी हो गईं।
+
यहाँ सैकड़ों बिल्‍ले
 
+
खरगोश की खाल में देश के हर कोने में विराजमान हैं।
हम जैसे गए थे लौट आए,
+
घर पहुँचे मुँह लटकाए,
+
पिताजी बोले-
+
अब क्या फ़ायदा ,
+
मुँह लटकाने से ,
+
आग लगे ऐसी जवानी में,
+
डूब मरो चुल्लू भर पानी में
+
नहीं डूब सकते तो आँखें फोड़ लो,
+
नहीं फोड़ सकते हमसे नाता ही तोड़ लो।
+
 
+
जब भी कहीं आते हो,
+
पिटकर ही आते हो ,
+
भगवान जाने कैसे चलते हो?
+
अब आप ही बताइए,
+
क्या करूँ, कहाँ जाऊँ?
+
कहाँ तक गुण आऊँ अपनी इस आँख के,
+
कमबख़्त जूते खिलवाएगी,
+
लाख दो लाख के,
+
अब आप ही संभालिये,
+
मेरा मतलब है कि कोई रास्ता निकालिए।
+
 
   
 
   
जवान हो या वृद्धा, पूरी हो या अद्धा
+
हम भिखारी ही सही ,
केवल एक लड़की जिसकी आँख चलती हो,
+
मगर राजनीति समझते हैं ,
पता लगाइए और मिल जाये तो,
+
रही अख़बार पढ़ने की बात
हमारे आदरणीय काका जी को बताइए।
+
तो अच्‍छे-अच्‍छे लोग ,
 +
माँग कर पढ़ते हैं,
 +
समाचार तो समाचार ,
 +
लोग बाग पड़ोसी से ,
 +
अचार तक माँग लाते हैं,
 +
रहा विचार!
 +
तो वह बेचारा ,
 +
महँगाई के मरघट में,
 +
मुद्दे की तरह दफ़न हो गया है।
 +
 
 +
समाजवाद का झंडा ,
 +
हमारे लिए कफ़न हो गया है,  
 +
कूड़ा खा रहे हैं और बदबू पी रहे हैं ,
 +
उनका फोटो खींचकर
 +
फिल्‍म वाले लाखों कमाते हैं
 +
झोपड़ी की बात करते हैं
 +
मगर जुहू में बँगला बनवाते हैं।''
 +
हमने कहा ''फिल्‍म वालों से
 +
तुम्‍हारा क्‍या झगड़ा है ?''
 +
वो बोला-
 +
''आपके सामने भिखारी नहीं
 +
भूतपूर्व प्रोड्यूसर खड़ा है
 +
बाप का बीस लाख फूँक कर
 +
हाथ में कटोरा पकड़ा!''
 +
हमने पाँच रुपए उसके
 +
हाथ में रखते हुए कहा-
 +
''हम भी फिल्‍मों में ट्राई कर रहे हैं !''
 +
वह बोला, ''आपकी रक्षा करें दुर्गा माई
 +
आपके लिए दुआ करूँगा
 +
लग गई तो ठीक
 +
वरना आपके पाँच में अपने पाँच मिला कर
 +
दस आपके हाथ पर धर दूँगा !''
 
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13:31, 26 मई 2010 का अवतरण

लोकल ट्रेन से उतरते ही
हमने सिगरेट जलाने के लिए
एक साहब से माचिस माँगी,
तभी किसी भिखारी ने
हमारी तरफ हाथ बढ़ाया,
हमने कहा-
भीख माँगते शर्म नहीं आती?
 
ओके, वो बोला-
माचिस माँगते आपको आयी थी क्‍या?
बाबूजी! माँगना देश का करेक्‍टर है,
जो जितनी सफ़ाई से माँगे
उतना ही बड़ा एक्‍टर है,
ये भिखारियों का देश है
लीजिए! भिखारियों की लिस्‍ट पेश है,

धंधा माँगने वाला भिखारी
चंदा माँगने वाला
दाद माँगने वाला
औलाद माँगने वाला
दहेज माँगने वाला
नोट माँगने वाला
और तो और
वोट माँगने वाला
हमने काम माँगा
तो लोग कहते हैं चोर है,
भीख माँगी तो कहते हैं,
कामचोर है,

उनमें कुछ नहीं कहते,
जो एक वोट के लिए ,
दर-दर नाक रगड़ते हैं,
घिस जाने पर रबर की खरीद लाते हैं,
और उपदेशों की पोथियाँ खोलकर,
महंत बन जाते हैं।
लोग तो एक बिल्‍ले से परेशान हैं,
यहाँ सैकड़ों बिल्‍ले
खरगोश की खाल में देश के हर कोने में विराजमान हैं।
 
हम भिखारी ही सही ,
मगर राजनीति समझते हैं ,
रही अख़बार पढ़ने की बात
तो अच्‍छे-अच्‍छे लोग ,
माँग कर पढ़ते हैं,
समाचार तो समाचार ,
लोग बाग पड़ोसी से ,
अचार तक माँग लाते हैं,
रहा विचार!
तो वह बेचारा ,
महँगाई के मरघट में,
मुद्दे की तरह दफ़न हो गया है।

समाजवाद का झंडा ,
हमारे लिए कफ़न हो गया है,
कूड़ा खा रहे हैं और बदबू पी रहे हैं ,
उनका फोटो खींचकर
फिल्‍म वाले लाखों कमाते हैं
झोपड़ी की बात करते हैं
मगर जुहू में बँगला बनवाते हैं।
हमने कहा फिल्‍म वालों से
तुम्‍हारा क्‍या झगड़ा है ?
वो बोला-
आपके सामने भिखारी नहीं
भूतपूर्व प्रोड्यूसर खड़ा है
बाप का बीस लाख फूँक कर
हाथ में कटोरा पकड़ा!
हमने पाँच रुपए उसके
हाथ में रखते हुए कहा-
हम भी फिल्‍मों में ट्राई कर रहे हैं !
वह बोला, आपकी रक्षा करें दुर्गा माई
आपके लिए दुआ करूँगा
लग गई तो ठीक
वरना आपके पाँच में अपने पाँच मिला कर
दस आपके हाथ पर धर दूँगा !