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"शीतल तरु छाया में बैठे / सुमित्रानंदन पंत" के अवतरणों में अंतर
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18:28, 28 मई 2010 के समय का अवतरण
शीतल तरु छाया में बैठे
हरते थे निज क्लांति पांथ जन,
कंपित कर से पान पात्र भर,
देख सुरा का रक्तिम आनन!
हँसमुख सहचर मधुर कंठ से
गाते थे मदिरालस लोचन,
बोला हँसकर एक पात्र भर
उमर बीत जाएँगे ये क्षण!