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"शक्ति दे, मन को सुदृढ़ बनाऊँ / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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शक्ति दे, मन को सुदृढ़ बनाऊँ | शक्ति दे, मन को सुदृढ़ बनाऊँ | ||
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तूने ही बाँहें हैं थामी | तूने ही बाँहें हैं थामी |
00:07, 29 मई 2010 का अवतरण
शक्ति दे, मन को सुदृढ़ बनाऊँ
कितना भी गहरा संकट हो, तनिक नहीं घबराऊँ
जब भी विकल हुआ मैं स्वामी!
तूने ही बाँहें हैं थामी
निज दुर्बलता अन्तर्यामी!
तुझको क्या बतलाऊँ
दुःख जितना भी हो, सब सह लूँ
बढ़ा-घटाकर जग से कह लूँ
दुःख में भी सुख से ही रह लूँ
बस इतना वर पाऊँ
यह विश्वास रहे अंतर में
'डाँड़ धरे है तू निज कर में
निश्चय लाघूँगा सागर मैं
लाख झकोरे खाऊँ'
शक्ति दे, मन को सुदृढ़ बनाऊँ
कितना भी गहरा संकट हो, तनिक नहीं घबराऊँ