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"इन सपनों के पंख न काटो / महादेवी वर्मा" के अवतरणों में अंतर

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मुक्त गगन में विचरण कर यह
 
मुक्त गगन में विचरण कर यह
 
तारों में फिर मिल जायेगा,
 
तारों में फिर मिल जायेगा,
मेघों से रँग औ’ किरणों से
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मेघों से रंग औ’ किरणों से
 
दीप्ति लिए भू पर आयेगा।
 
दीप्ति लिए भू पर आयेगा।
 
स्वर्ग बनाने का फिर कोई शिल्प
 
स्वर्ग बनाने का फिर कोई शिल्प

09:41, 29 मई 2010 के समय का अवतरण

इन सपनों के पंख न काटो
इन सपनों की गति मत बाँधो!

सौरभ उड़ जाता है नभ में
फिर वह लौट कहाँ आता है?
बीज धूलि में गिर जाता जो
वह नभ में कब उड़ पाता है?
अग्नि सदा धरती पर जलती
धूम गगन में मँडराता है।
सपनों में दोनों ही गति है
उडकर आँखों में ही आता है।
इसका आरोहण मत रोको
इसका अवरोहण मत बाँधो!

मुक्त गगन में विचरण कर यह
तारों में फिर मिल जायेगा,
मेघों से रंग औ’ किरणों से
दीप्ति लिए भू पर आयेगा।
स्वर्ग बनाने का फिर कोई शिल्प
भूमि को सिखलायेगा।
नभ तक जाने से मत रोको
धरती से इसको मत बाँधो!

इन सपनों के पंख न काटो
इन सपनों की गति मत बाँधो!