भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"उमर न कभी हरित होगा फिर / सुमित्रानंदन पंत" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुमित्रानंदन पंत |संग्रह= मधुज्वाल / सुमित्रान…)
 
छो ("उमर न कभी हरित होगा फिर / सुमित्रानंदन पंत" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))
 
(कोई अंतर नहीं)

14:17, 29 मई 2010 के समय का अवतरण

उमर न कभी हरित होगा फिर
पलित वयस का गलित लिबास,
मेरे मन अनुकूल फिरेगा
भाग्य चक्र, यह व्यर्थ प्रयास!
पान पात्र भर ले मदिरा से
शोक न कर, मदिरा कर पान,
कभी सुराही टूट, सुरा ही
रह जाएगी, कर विश्वास!