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14:17, 29 मई 2010 के समय का अवतरण
उमर न कभी हरित होगा फिर
पलित वयस का गलित लिबास,
मेरे मन अनुकूल फिरेगा
भाग्य चक्र, यह व्यर्थ प्रयास!
पान पात्र भर ले मदिरा से
शोक न कर, मदिरा कर पान,
कभी सुराही टूट, सुरा ही
रह जाएगी, कर विश्वास!