भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"लाओ हे लज्जास्मित प्रेयसि / सुमित्रानंदन पंत" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुमित्रानंदन पंत |संग्रह= मधुज्वाल / सुमित्रान…) |
छो ("लाओ हे लज्जास्मित प्रेयसि / सुमित्रानंदन पंत" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite))) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | + | लाओ, हे लज्जास्मित प्रेयसि, | |
− | + | मदिर लालिमा का घट सुंदर, | |
− | + | मधुर प्रणय के मदिरालस में | |
− | + | आज डुबाओ मेरा अंतर! | |
− | : | + | :ज्ञानी, रसिक, विमूढ़ों को जो |
− | : | + | :बंदी कर निज प्रीति पाश में |
− | : | + | :विस्मृत कर देती क्षण भर को, |
− | : | + | :लाओ वह मधु ज्वाल पात्र भर! |
</poem> | </poem> |
21:34, 31 मई 2010 के समय का अवतरण
लाओ, हे लज्जास्मित प्रेयसि,
मदिर लालिमा का घट सुंदर,
मधुर प्रणय के मदिरालस में
आज डुबाओ मेरा अंतर!
ज्ञानी, रसिक, विमूढ़ों को जो
बंदी कर निज प्रीति पाश में
विस्मृत कर देती क्षण भर को,
लाओ वह मधु ज्वाल पात्र भर!