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{{KKRachna
|रचनाकार=ग़ालिब
|संग्रह= दीवाने-ग़ालिब / ग़ालिब
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
आ, कि मेरी जान को क़रार नहीं है
ताक़त-ए-बेदाद-ए-इन्तज़ार<ref>बेइंसाफी सहने की हिम्मत</ref> नहीं है
आ कि मेरी जान को क़रार नहीं है देते हैं जन्नत हयात-ए-दहर<brref>इस संसार की ज़िंदगी</ref> के बदले ताक़तनशा बअन्दाज़ा-ए-बेदाद-ए-इन्तज़ार ख़ुमार नहीं है<br><br>
देते हैं जन्नत हयात-ए-दहर के बदले <br>गिरियां निकाले है तेरी बज़्म से मुझको नश्शा बअन्दाज़-ए-ख़ुमार हाय कि रोने पे इख़्तियार नहीं है <br><br>
गिरिया निकाले हमसे अ़बस<ref>बेरुखी</ref> है तेरी बज़्म से मुझ को गुमान-ए-रन्जिश-ए-ख़ातिर<brref>नाराज़गी का अंदेशा</ref>हाये! कि रोने पे इख़्तियार नहीं है ख़ाक में उश्शाक़<brref>प्रेमी<br/ref>की ग़ुबार नहीं है
हम दिल से अबस है गुमानउठा लुत्फ-ए-रन्जिशजल्वा हाए म'आनी<ref>मतलब</ref> ग़ैर-ए-ख़ातिर गुल<brref>ख़ाक में उश्शाक़ की ग़ुब्बार नहीं है बिना फूल के<br><br/ref>आईना-ए-बहार नहीं है
दिल से उठा लुत्फ-ए-जल्वाहा-ए-म'आनी क़त्ल का मेरे किया है अ़हद<brref>फैसला</ref> तो बारे<ref>आखिर</ref>ग़ैर-ए-गुल आईना-ए-बहार नहीं है वाये! अखर<brref>लेकिन<br/ref>अ़हद उस्तवार<ref>पक्का</ref> नहीं है
क़त्ल का मेरे किया है अहद तो बारे <br>वाये! अगर अहद उस्तवार नहीं है <br><br> तू ने तूने क़सम मयकशी मैकशी की खाई है "ग़ालिब"<br>तेरी क़सम का कुछ ऐतबार नहीं है<br><br/poem>{{KKMeaning}}
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