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लेखक: [[{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=ग़ालिब]][[Category:कविताएँ]]|संग्रह= दीवाने-ग़ालिब / ग़ालिब}}[[Category:गज़लग़ज़ल]][[Category:ग़ालिब]]<poem>आ, कि मेरी जान को क़रार नहीं है ताक़त-ए-बेदाद-ए-इन्तज़ार<ref>बेइंसाफी सहने की हिम्मत</ref> नहीं है
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*देते हैं जन्नत हयात-ए-दहर<ref>इस संसार की ज़िंदगी</ref> के बदले नशा बअन्दाज़ा-ए-ख़ुमार नहीं है
आ िक मेरी जान को क़रार नहीं गिरियां निकाले है <br>तेरी बज़्म से मुझको ताक़ते-बेदादे-इन्तज़ार हाय कि रोने पे इख़्तियार नहीं है<br><br>
देते हैंं जन्नत हयातहमसे अ़बस<ref>बेरुखी</ref> है गुमान-ए-दहर के बदले <br>नश्शा बअन्दाज़रन्जिश-ए-ख़ुमार नहीं है ख़ातिर<brref>नाराज़गी का अंदेशा<br/ref>ख़ाक में उश्शाक़<ref>प्रेमी</ref> की ग़ुबार नहीं है
िगिरया िनकाले है तेरी बज़्म दिल से मुझ को उठा लुत्फ-ए-जल्वा हाए म'आनी<brref>मतलब</ref>हाये! िक रोने पे इख़्तियार नहीं है ग़ैर-ए-गुल<brref>बिना फूल के<br/ref>आईना-ए-बहार नहीं है
हम से अबस क़त्ल का मेरे किया है गुमान-ए-रन्जिश-ए-ख़ातिर अ़हद<brref>फैसला</ref> तो बारे<ref>आखिर</ref>ख़ाक में उश्शाक़ की ग़ुब्बार नहीं है वाये! अखर<brref>लेकिन<br/ref>अ़हद उस्तवार<ref>पक्का</ref> नहीं है
िदल से उठा लुत्फे-जल्वाहा-ए-म'आनी <br>ग़ैर-ए-गुल आईना-ए-बहार नहीं है <br><br> क़त्ल का मेरे किया है अहद तो बारे <br>वाये! अगर अहद उस्तवार नहीं है <br><br> तू ने तूने क़सम मैकशी की खाई है "ग़ालिब"<br>तेरी क़सम का कुछ ऐतबार नहीं है<br><br/poem>{{KKMeaning}}
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