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"जहां तक हो सका हमने तुम्हें परदा कराया है / मुनव्वर राना" के अवतरणों में अंतर

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21:40, 1 जून 2010 के समय का अवतरण

 
जहां तक हो सका हमने तुम्हें परदा कराया है
मगर ऐ आंसुओं! तुमने बहुत रुसवा कराया है

चमक यूं ही नहीं आती है खुद्दारी के चेहरे पर
अना को हमने दो दो वक्त का फाका कराया है

बड़ी मुद्दत पे खायी हैं खुशी से गालियाँ हमने
बड़ी मुद्दत पे उसने आज मुंह मीठा कराया है

बिछड़ना उसकी ख्वाहिश थी न मेरी आरजू लेकिन
जरा सी जिद ने इस आंगन का बंटवारा कराया है

कहीं परदेस की रंगीनियों में खो नहीं जाना
किसी ने घर से चलते वक्त ये वादा कराया है

खुदा महफूज रखे मेरे बच्चों को सियासत से
ये वो औरत है जिसने उम्र भर पेशा कराया है