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"तुम उठा लुकाठी खड़े हुए चौराहे पर / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर
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22:06, 1 जून 2010 के समय का अवतरण
तुम उठा लुकाठी खड़े चौराहे पर;
बोले, वह साथ चले जो अपना दाहे घर;
- तुमने था अपना पहले भस्मीभूत किया,
- फिर ऐसा नेता
- देश कभी क्या
- पाएगा?
फिर तुमने हाथों से ही अपना सर
कर अलग देह से रक्खा उसको धरती पर,
- फिर ऊपर तुमने अपना पाँव दिया
- यह कठिन साधना देख कँपे धती-अंबर;
- है कोई जो
- फिर ऐसी राह
- बनाएगा?
इस कठिन पंथ पर चलना था आसान नहीं,
हम चले तुम्हारे साथ, कभी अभिमान नहीं,
- था, बापू, तुमने हमें गोद में उठा लिया,
- यह आने वाला
- दिन सबको
- बतलाएगा।