भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
ये रश्क है कि वो होता है हमसुख़न<ref>अकसर बातें करना</ref> तुमसे
चिपक रहा है बदन पर लहू से पैराहन<ref>चोला</ref>