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कभी-कभी / मुकेश मानस

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<poem>
 '''कभी-कभी'''[[Media:उदाहरण.ogg]]
आज फिर
तरस रहा हूं मैं
दो चार बूंदों के लिए
 
फिर और किसी दिन
गरजेंगे बादल
बरसेगा पानी
और भीग जाउंगा मैं भी
बरसात के पानी में
 
बरस जाऊंगा मैं भी
एक दिन
1994
<poem>
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