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"चाह / मुकेश मानस" के अवतरणों में अंतर

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'''चाह'''
  
  

12:51, 6 जून 2010 के समय का अवतरण


चाह


भाग जाऊं
भागकर कहां जाऊं

लौटकर आना है
यहीं इसी नरक में
जीवन बिताना है
यहीं इसी नरक में

बार-बार होती है चाह
क्या यहां से निकलने की
नहीं है कोई राह
1986