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बेटियां / मुकेश मानस

2 bytes added, 08:00, 6 जून 2010
<poem>
'''बेटियां'''
अपूर्वा के चौथे जन्म दिवस पर
वो पल बड़ा बेमिसाल पल होता है
वो लोग बड़े बदनसीब होते हैं
जिनके घर बेटियां दु:ख पाती हैं
 
अपूर्वा के चौथे जन्म दिवस पर
रचनाकाल:जून 2000
<poem>
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