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"ज़िन्दगी / मुकेश मानस" के अवतरणों में अंतर
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16:25, 6 जून 2010 के समय का अवतरण
उसने कहा
जिन्दगी ऐसी नहीं
जैसी मैंने समझी
जिन्दगी वैसी होगी
जैसी तुम समझोगे
मैं सोच रहा हूं
क्या जिन्दगी ऐसी होगी
जैसी मैं जी रहा हूं
रचनाकाल:1989