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ढांप -छुपा कर रखना
ही सभ्यता है ??
या सोच मैं में ही
असभ्यता है ??
होते
होती है तो एक चमकदार सोच
जो शारीर शरीर से परे
आत्मा में कहीं गहरे
घर बना लेती है