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"तेरे बगैर लगता है, अच्छा मुझे जहाँ नहीं / श्रद्धा जैन" के अवतरणों में अंतर
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तेरे बगैर लगती है, अच्छी मुझे फ़िज़ाँ नहीं | तेरे बगैर लगती है, अच्छी मुझे फ़िज़ाँ नहीं |
16:17, 7 जून 2010 का अवतरण
तेरे बगैर लगती है, अच्छी मुझे फ़िज़ाँ नहीं
सरसर<ref>रेगिस्तान की गर्म हवा</ref> लगे सबा<ref>ठंडी हवा</ref> मुझे, गर पास तू ए जाँ नहीं
मैं जल रही थी, मिट रही थी, इंतिहां थी प्यार की
अंजान वो रहा मगर, क्यूंकी उठा धुआँ नहीं
कल रात पास बैठे जो, हम राज़दार हो गये
टूटा है ऐतमाद बस, ये तो कोई ज़ियाँ<ref>नुकसान</ref> नहीं
क्यूँ दिल मेरा ये, दिलजलों की नासेहा<ref>नसीहत</ref> सुने नहीं
माँगा करे दो प्यार के पल, उम्रे जाविदाँ<ref>लंबी ज़िंदगी</ref> नहीं
अंदाज़-ए-सुखन और था “श्रद्धा” ज़ुदाई में तेरी
लिख के ग़ज़ल में राज़ सब, कुछ भी किया बयाँ नहीं
शब्दार्थ
<references/>