{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार= मनोज श्रीवास्तव |संग्रह= }} {{KKCatKavita}}<poem>गंध एक यात्रा है
इतिहास के दूरवर्ती पन्नों की
भौतिक-अभौतिक पन्नों की
अजीवित देहों की
और मन की पकड़ से परे
जीवित देहों की भी.।
तीर्थयात्रा भी है गंध
सलोने प्रदेशों की अथक यात्रा है--
गंध,
सुखद भटकन की चाह में
कल्पना कदमों से विचरते हुए
एक दार्शनिक यात्रा है
गंध एक आनुभविक यात्रा है.।</poem>