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"तुझे खोकर भी तुझे पाऊं जहां तक देखूं / अहमद नदीम क़ासमी" के अवतरणों में अंतर

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तुझे खोकर भी तुझे पाऊं जहां तक देखूं
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तुझे खोकर भी तुझे पाऊं जहाँ तक देखूँ
हुस्न-ए-यज़्दां से तुझे हुस्न-ए-बुतां तक देखूं
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हुस्न-ए-यज़्दां<ref>भगवान की सुन्दरता</Ref>  से तुझे हुस्न-ए-बुतां<ref>बुत/मूर्ति की सुन्दरता </ref> तक देखूं
  
(हुस्न-ए-यज़्दां == beauty of God, हुस्न-ए-बुतां == beauty of idols)
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तूने यूं देखा है जैसे कभी देखा ही था
 
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मैं तो दिल में तेरे क़दमों के निशां तक देखूँ
तूने यूं देखा है जैसे कभी देखा ही ना था
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मैं तो दिल में तेरे क़दमों के निशां तक देखूं
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सिर्फ़ इस शौक़ में पूछी हैं हज़ारों बातें
 
सिर्फ़ इस शौक़ में पूछी हैं हज़ारों बातें
मै तेरा हुस्न तेरे हुस्न-ए-बयां तक देखूं
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मै तेरा हुस्न तेरे हुस्न-ए-बयां तक देखूँ
  
वक़्त ने ज़ेहन में धुंधला दिये तेरे खद्द-ओ-खाल
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वक़्त ने ज़ेहन में धुंधला दिये तेरे खद्द-ओ-खाल<ref> यादें / सूरत </ref>
यूं तो मैं तूटते तारों का धुआं तक देखूं
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यूं तो मैं तूटते तारों का धुआं तक देखूँ
  
(खद्द-ओ-खाल == appearance)
 
  
 
दिल गया था तो ये आँखें भी कोई ले जाता
 
दिल गया था तो ये आँखें भी कोई ले जाता
मैं फ़क़त एक ही तस्वीर कहां तक देखूं
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मैं फ़क़त<ref>सिर्फ़</ref> एक ही तस्वीर कहाँ तक देखूँ
  
(फ़क़त == only)
 
  
 
एक हक़ीक़त सही फ़िरदौस में हूरों का वजूद
 
एक हक़ीक़त सही फ़िरदौस में हूरों का वजूद
हुस्न-ए-इन्सां से निपट लूं तो वहां तक देखूं
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हुस्न-ए-इन्सां से निपट लूं तो वहाँ तक देखूँ
  
 
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07:57, 10 जून 2010 के समय का अवतरण

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तुझे खोकर भी तुझे पाऊं जहाँ तक देखूँ
हुस्न-ए-यज़्दां<ref>भगवान की सुन्दरता</Ref> से तुझे हुस्न-ए-बुतां<ref>बुत/मूर्ति की सुन्दरता </ref> तक देखूं

तूने यूं देखा है जैसे कभी देखा ही न था
मैं तो दिल में तेरे क़दमों के निशां तक देखूँ

सिर्फ़ इस शौक़ में पूछी हैं हज़ारों बातें
मै तेरा हुस्न तेरे हुस्न-ए-बयां तक देखूँ

वक़्त ने ज़ेहन में धुंधला दिये तेरे खद्द-ओ-खाल<ref> यादें / सूरत </ref>
यूं तो मैं तूटते तारों का धुआं तक देखूँ


दिल गया था तो ये आँखें भी कोई ले जाता
मैं फ़क़त<ref>सिर्फ़</ref> एक ही तस्वीर कहाँ तक देखूँ


एक हक़ीक़त सही फ़िरदौस में हूरों का वजूद
हुस्न-ए-इन्सां से निपट लूं तो वहाँ तक देखूँ

शब्दार्थ
<references/>