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"दिल पे गुज़रे है जो बता ही दे / सरवर आलम राज 'सरवर'" के अवतरणों में अंतर

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11:45, 10 जून 2010 के समय का अवतरण

दिल पे गुज़रे है जो बता ही दे
दास्तान अब उसे सुना ही दे

मेरे हक़ में दुआ नहीं, न सही
किसी हीले से बद्दुआ ही दे

खो न जाए कहीं मिरी पहचान
तो वफ़ा क़ा सिला जफ़ा ही दे

शाम-ए-फुरक़त की तब सहर हो जी
हुस्न जब इश्क़ की गवाही दे

बे-ज़बानी मिरी ज़बान है अब
सोज़-ए-शब, आह-ए-सुभगाही दे

कौन समझाए, किस को समझाए
अब तो ऐ दिल! उसे भुला ही दे

कुछ तो मिल जाए तेरी महफ़िल से
न-मुरादी क़ा सिलसिला ही दे

दिल ज़माने से उठ चला है अब
कब तलक दाद-ए-कम निगाही दे

अपनी मजबूरियों पे शाकिर हूँ
इतनी तौफ़ीक़ तो इलाही दे

तुझ पर ‘सरवर’ कभी न यह गुज़रे
शायरी दाग़-ए-कजकुलाही दे