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"होते गये / विजय वाते" के अवतरणों में अंतर
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| − | जैसे जैसे हम बड़े होते   | + | जैसे जैसे हम बड़े होते गए,    | 
| − | झूठ कहने मे खरे होते   | + | झूठ कहने मे खरे होते गए ।  | 
चाँद बाबा गिल्ली डंडा इमलियाँ,    | चाँद बाबा गिल्ली डंडा इमलियाँ,    | ||
| − | सब किताबों के   | + | सब किताबों के सफ़े होते गए ।  | 
| − | अब   | + | अब तलक तो दूसरा कोई न था,    | 
| − | + | रफ़्ता रफ़्ता तीसरे होते गए ।  | |
| − | एक बित्ता   | + | एक बित्ता क़द हमारा क्या बढ़ा,  | 
| − | हम अकारण ही बुरे होते   | + | हम अकारण ही बुरे होते गए ।   | 
जंगलों में बागबां कोई नहीं,    | जंगलों में बागबां कोई नहीं,    | ||
| − | इसलिए पौधे हरे होते   | + | इसलिए पौधे हरे होते गए ।  | 
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11:36, 11 जून 2010 के समय का अवतरण
जैसे जैसे हम बड़े होते गए, 
झूठ कहने मे खरे होते गए ।
चाँद बाबा गिल्ली डंडा इमलियाँ, 
सब किताबों के सफ़े होते गए ।
अब तलक तो दूसरा कोई न था, 
रफ़्ता रफ़्ता तीसरे होते गए ।
एक बित्ता क़द हमारा क्या बढ़ा,
हम अकारण ही बुरे होते गए । 
जंगलों में बागबां कोई नहीं, 
इसलिए पौधे हरे होते गए ।
	
	