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02:20, 12 जून 2010 के समय का अवतरण

राहत इन्दौरी की शायरी बहुत दिलकश है और पानीदार भी. वे अपनी लोकप्रियता के लिये कोई ऐसा सरल रास्ता नहीं चुनते जो शायरी की इज़्ज़त को कम करे. उनका लिखा उनसे ज़्यादा सामईन को याद रहता है. ये किसी शायर की लोकप्रियता का सबसे अहम पहलू है. राहत जब ग़ज़ल पढ़ रहे होते हैं तो उन्हे देखना और सुनना दोनो एक अनुभव से गुज़रना है. राहत के भीतर का एक और राहत इस वक़्त महफ़िल में नमूदार होता है और वह एक तिलिस्म सा छा जाता है. गुफ़्तगू सी लगती उनकी शायरी में सुननेवाला राहत के क़लम की कारीगरी का मुरीद हो जाता है. वे मुशायरों के ऐसे ऑलराउंडर हैं जिन्हें आप किसी भी क्रम पर खिला लें, वे बाज़ी मार ही लेते हैं. उनका माइक्रोफ़ोन पर होना ज़िन्दगी का होना होता है. यह अहसास सुननेवाले को बार-बार मिलता है कि राहत रूबरू हैं और अच्छी शायरी सिर्फ़ और सिर्फ़ इस वक़्त सुनी जा रही है. उनके शब्द और आवाज़ का करतब हिप्नोटाइ़ज़ सा कर लेता है. हाँ आवाज़ से याद आया...राहत इन्दौरी की शायरी इसलिये भी ध्यान से सुनी जाती है क्योंकि उनकी आवाज़ का तेवर अशाअर के मूड को रिफ़्लेक्ट करता है.