भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"भारत क्यों प्यासा / राधेश्याम बन्धु" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राधेश्याम बन्धु |संग्रह= }} <Poem> गंगा यमुना जिसे द...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
}} | }} | ||
+ | {{KKCatNavgeet}} | ||
<Poem> | <Poem> | ||
गंगा यमुना जिसे दुलारे, भारत क्यों प्यासा? | गंगा यमुना जिसे दुलारे, भारत क्यों प्यासा? |
08:36, 13 जून 2010 का अवतरण
गंगा यमुना जिसे दुलारे, भारत क्यों प्यासा?
सागर जिसके चरन पखारे, भारत क्यों प्यासा?
बंजर में भी हम मेहनत के
फूल खिला देंगे,
प्यासी पोखर को जीने की
कला सिखा देंगे,
मधुऋतु जिसकी राह सँवारे, भारत क्यों प्यासा?
संबन्धों के हरसिंगार की
गंध न मुरझाए,
होली, ईद, दिवाली की
मुस्कान न लुट जाए।
रवि जिसकी आरती उतारे, भारत क्यों प्यासा?
आँगन से हिमगिरि सीमा तक
वीर जागते रहना,
पूजा से कीर्तन अजान तक,
बंधु जागते रहना।
गीता जिसको स्वर्ग पुकारे, भारत क्यों प्यासा?
गंगा यमुना जिसे दुलारे, भारत क्यों प्यासा?