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"सही इंसान बनने के इरादों पर अमल होगा / ओमप्रकाश यती" के अवतरणों में अंतर

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न शाहों में है ना अमीरों में है
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सही इंसान बनने  के  इरादों  पर  अमल  होगा
जो देने की कुव्वत फ़कीरों में है
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किसी  के  काम  आयेंगे  तभी जीवन सफल होगा
  
मैं मंज़िल की परवाह करता नहीं
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ठिकाना है नही  जब  एक पल का,एक लम्हे का
मेरा नाम  तो राहगीरों में है
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बहुत मुश्किल है ये कहना कहाँ पर कौन कल होगा
  
जो हासिल न थी बादशाहों को भी  
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भटकता  फिर  रहा  हूँ  पर  मुझे मालूम है ये भी  
वो ताक़त यहाँ अब वज़ीरों में है
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वहीँ  पर  जायेगी  बेटी  जहाँ  का अन्न-जल होगा
  
वतन के लिए दे गया जान जो
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मुकद्दर  का  लिखा  कितना  सही  होगा खुदा जाने
वो ज़िंदा अभी भी नज़ीरों में है
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मगर  जो कर्म से लिख दोगे वो बिक्कुल अटल होगा
  
हथेली बता किस तरह से जिऊँ
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ज़माने  के  हर इक दुख-दर्द से जुड जायेंगे जब हम
अभी और क्या-क्या लकीरों में है
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कहीं  भी  देख  कर  आंसूं  हमारा मन सजल होगा
+
 
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जहाँ  कोई  न  होगा  और मुश्किल  सामने  होगी
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वाहन  पर  साथ  देने  को  हमारा  आत्मबल होगा 
  
  
 
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15:40, 13 जून 2010 का अवतरण

 
सही इंसान बनने के इरादों पर अमल होगा
किसी के काम आयेंगे तभी जीवन सफल होगा

ठिकाना है नही जब एक पल का,एक लम्हे का
बहुत मुश्किल है ये कहना कहाँ पर कौन कल होगा

भटकता फिर रहा हूँ पर मुझे मालूम है ये भी
वहीँ पर जायेगी बेटी जहाँ का अन्न-जल होगा

मुकद्दर का लिखा कितना सही होगा खुदा जाने
मगर जो कर्म से लिख दोगे वो बिक्कुल अटल होगा

ज़माने के हर इक दुख-दर्द से जुड जायेंगे जब हम
कहीं भी देख कर आंसूं हमारा मन सजल होगा

जहाँ कोई न होगा और मुश्किल सामने होगी
वाहन पर साथ देने को हमारा आत्मबल होगा