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"शायद उसने मुझको तन्हा देख लिया / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर
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20:15, 13 जून 2010 के समय का अवतरण
शायद उसने मुझको तन्हा देख लिया है
दुःख ने मेरे घर का रस्ता देख लिया है
अपने आप से आँख चुराए फिरती हूँ मैं
आईने में किसका चेहरा देख लिया है
उसने मुझे दरअस्ल कभी चाहा ही नहीं था
खुद को देकर ये भी धोखा दे ख लिया है
उससे मिलते वक़्त का रोना कुछ फ़ितरी था
उससे बिछड़ जाने का नतीजा देख लिया है
रुखसत करने के आदाब निभाने ही थे
बंद आँखों से उसको जाता देख लिया है