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"मोती हार पिरोये हुए / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर
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20:17, 13 जून 2010 के समय का अवतरण
मोती हार पिरोये हुए
दिन गुजरे हैं रोये हुए
नींद मुसाफिर को ही नहीं
रस्ते भी हैं सोये हुए
जश्न ए बहार में आ पहुंचे
ज़ख्म का चेहरा धोये हुए
उसको पाकर रहते हैं
अपने आप में खोये हुए
कितनी बरसातें गुजरीं
उससे मिलकर रोये हुए