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"दिल का क्या है वो तो चाहेगा मुसलसल मिलना / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर

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20:43, 13 जून 2010 के समय का अवतरण

दिल का क्या है वो तो चाहेगा मुसलसल मिलना
वो सितमगर भी मगर सोचे किसी पल मिलना

वाँ नहीं वक़्त तो हम भी हैं अदीमुल्फुर्सत
उससे क्या मिलिए जो हर रोज कहे कल मिलना

इश्क़ की राह के मुसाफ़िर का मुक़द्दर मालूम
शहर की सोच में हो और उसे जंगल मिलना

उसका मिलना है अजब तरह का मिलना जैसे
दश्त ए उम्मीद में अंदेशे का बदल मिलना

दमन ए शाम को अगर चाक भी कर लें तो कहीं
नूर में डूबा हुआ सुबह का आँचल मिलना