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"काँच की सुर्ख़ चूड़ी / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर

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काँच की सुर्ख़ चूड़ी
 
काँच की सुर्ख़ चूड़ी
मेरे हाथ मेम
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मेरे हाथ में
आज ऐसे कनकने लगी है
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आज ऐसे खनकने लगी है
 
जैसे कल रात शबनम में लिक्खी हुई
 
जैसे कल रात शबनम में लिक्खी हुई
 
तेरे हाथ की शोख़ियों को
 
तेरे हाथ की शोख़ियों को
 
हवाओं ने सुर दे दिया हो
 
हवाओं ने सुर दे दिया हो
 
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16:56, 14 जून 2010 के समय का अवतरण

काँच की सुर्ख़ चूड़ी
मेरे हाथ में
आज ऐसे खनकने लगी है
जैसे कल रात शबनम में लिक्खी हुई
तेरे हाथ की शोख़ियों को
हवाओं ने सुर दे दिया हो