भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कुछ फैसला तो हो कि किधर जाना चाहिए / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=परवीन शाकिर |संग्रह=खुली आँखों में सपना / परवीन …)
 
(कोई अंतर नहीं)

19:53, 14 जून 2010 के समय का अवतरण

कुछ फ़ैसला तो हो कि किधर जाना चाहिए
पानी को अब तो सर से गुज़र जाना चाहिए

सारा जुआर भाटा मिरे दिल में है मगर
इलज़ाम ये भी चाँद के सर जाना चाहिए

जब भी गए अज़ाब ए दर ओ बाम था वही
आखिर को कितनी देर से घर जाना चाहिए

तोहमत लगा के माँ पे जो दुशमन से दाद ले
ऐसे सुखन फ़रोश को मर जाना चाहिए