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"हमसे जो कुछ कहना है वो बाद में कह / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर

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19:58, 14 जून 2010 के समय का अवतरण

हमसे जो कुछ कहना है वो बाद में कह
अच्छी नदिया आज ज़रा आहिस्ता बह

हवा मिरे जूड़े में फूल सजाती जा
देख रही हूँ अपने मनमोहन की राह

उसकी खफगी जाड़े की नरमाती धूप
पारो सखी इस हिद्दत के हंस खेल के सह

आज तो सचमुच के शहजादे आएँगे
निंदियाँ प्यारी आज न कुछ परियों की कह

दोपहरों में जब गहरा सन्नाटा हो
शाखों शाखों मौजे हवा की सूरत बह