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"दिल पे इक तरफा क़यामत करना / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर

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20:04, 14 जून 2010 के समय का अवतरण

दिल पे इक तरफ़ा क़यामत करना
मुस्कराते हुए रूखसत करना

अच्छी आँखें जो मिली हैं उसको
कुछ तो लाज़िम हुआ वहशत करना

जुर्म किसका था सजा किसको मिली
क्या गई बात पे हुज्जत करना

कौन चाहेगा तुम्हें मेरी तरह
अब किसी से न मोहब्बत करना

घर का दरवाज़ा खुला रक्खा है
वक़्त मिल जाये तो ज़हमत करना