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कृष्ण / मंजुला सक्सेना
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16:12, 16 जून 2010
न्यायमूर्ति सृष्टि का भरता,
वह अवतार प्रेम का मधु का,
अनघ,शोक मोह का हरता
वह तो केवल एक कृष्ण हैं !
</poem>
अनिल जनविजय
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