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"जीवनदाता पेड / दीनदयाल शर्मा" के अवतरणों में अंतर
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पतझड़ में पत्ते झड़ जाएँ, | पतझड़ में पत्ते झड़ जाएँ, |
02:50, 17 जून 2010 के समय का अवतरण
तफ़ानों से डरें नहीं,
यह पेड़ हमें बतलाते हैं ।
पतझड़ में पत्ते झड़ जाएँ,
फिर भी ये मुस्काते हैं ।
पतझड़ बाद बसंत जब आए,
डाल-डाल हरियाली छाए ।
ढेरों फल इन पर लग जाएँ,
फिर भी ये झुक जाते हैं ।
पेड़ हमारे जीवनदाता,
इनसे जन्म-जन्म का नाता।
भेदभाव नहीं संग किसी के,
शीतल छाँव लुटाते हैं ।।