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"नाजुक हिस्से दे / विजय वाते" के अवतरणों में अंतर
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03:19, 18 जून 2010 के समय का अवतरण
दे दे मुझको आस पास के अपने जैसे किस्से दे
जिन्हें जोड़ कर एक हो सकूँ ऐसे नाजुक हिस्से दे
अपने अपने गम और खुशियाँ ढोने वाले इस युग में
इससे लेकर कुछ गम दे दे थोड़ी खुशियाँ उससे दे
नदियाँ नाले खंदक खाई पार सभी को करना है
पुल हम इस पर बना ही लेंगे तू बस केवल रस्से दे
टुकड़ा टुकड़ा चाँद उगा है धूप खिली है किश्तों में
हमको एक पूरी की पूरी दुनिया बना अलग से दे