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"दूर तक जाती लगे / विजय वाते" के अवतरणों में अंतर
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03:26, 18 जून 2010 के समय का अवतरण
इस गजल के साथ चलाती साथ गाती सी लगे
कौन है जो शब्द में जादू जगाती सी लगे
एक स्वर जो गुनगुनाकर कान में कुछ कह गया
हाँ वही आवाज फिर फिर आप आती सी लगे
अर्थ पर अहसास पर आवाज पर हैं बंदिशें
सब तरफ प्रतिबन्ध लेकिन हुक आती सी लगे
शेर जिसका स्तब्धता को और तीखा कर गया
उस गजल की आँच मुझको दूर जाती सी लगे