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"है वो / विजय वाते" के अवतरणों में अंतर
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15:11, 18 जून 2010 के समय का अवतरण
याद की सीढ़ी से साये की तरह उतरा है वो
इस तरह दुनिया में मेरी लौट कर आया है वो
इक खिलौना दो उसे पल भर में चुप हो जाएगा
इन दिनों एक छोटे बच्चे की तरह तनहा है वो
उसको बहलावे नहीं कुछ थपकियाँ दरकार है
हर किसी आहात पे पांखी सा डरा जाता है वो
बंद आखों में जगा करता है जो आठों पहर
आज आँखें खोल कर किस नींद में सोया है वो
घर की छत, नदियों, किनारों और खुद से ऊब कर
ठोस पत्थर की तरह आराम से लेटा है वो