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"नतीजा नहीं है / विजय वाते" के अवतरणों में अंतर
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+ | ग़ज़ल का तेरी रंग फीका नहीं है| |
10:01, 19 जून 2010 के समय का अवतरण
कहने सुनने का कोई नतीजा नहीं है|
मगर दिल कर काबू किसी का नहीं है|
की दो और दो चार होते हैं लेकिन,
ये सीधा गणित हमने सीखा नहीं है|
न कोई तड़प है न दीवानगी है,
यर हम से मिलन का तरीका नहीं है|
सतह पर ही टहले न डूबे न भीगे,
मेरे शेरो का ये सलीका नही है|
दिलों पर असर कुछ टू करती है "वाते",
ग़ज़ल का तेरी रंग फीका नहीं है|